कश्मीर से वापस लौटे हजारीबाग के शांतनु, कहा स्थानीय काश्मीरियों के अंदर भी गुस्सा है
Azad reporter desk: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद हजारीबाग के निवासी और सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी शांतनु सेन सुरक्षित रूप से रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर लौटे। मंगलवार को पहलगाम के बैसरण घाटी में हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए थे जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। शांतनु ने मीडिया से बातचीत में अपनी आपबीती साझा की और इस घटना को बेहद दुखद और निंदनीय बताया।

शांतनु ने बताया कि जिस स्थान पर यह हमला हुआ वह ठीक उससे कुछ समय पहले वहां थे। उन्होंने खुद को बेहद भाग्यशाली बताया कि वह सुरक्षित बच गए। उन्होंने कहा “मैं उस जगह से थोड़ा पहले ही निकला था जहां यह भयानक घटना हुई। यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।”
शांतनु ने स्थानीय कश्मीरियों की भावनाओं को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनके बीच भारी आक्रोश है।
उन्होंने बताया स्थानीय कश्मीरी इस घटना से बहुत आहत हैं। उनका कहना है कि इस तरह के कायराना कृत्य उनकी रोजी-रोटी और शांति को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीरी लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि वे बहुत सहयोगी और मिलनसार हैं।
शांतनु ने इस आतंकी हमले को “बेहद घृणित” करार देते हुए केंद्र सरकार से आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, “ऐसे कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार को आतंकवाद के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।”
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है। इस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को और कम करने सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी सीमा चौकी को बंद करने जैसे कड़े कदम उठाए हैं।
शांतनु की बातें कश्मीर में व्याप्त तनाव और स्थानीय लोगों की भावनाओं को दर्शाती हैं। इस हमले ने न केवल पर्यटन को प्रभावित किया है बल्कि क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर भी गहरा आघात पहुंचाया है।