Jamshedpur News : मौत के 40 दिन हुए मुकम्मल, नहीं मिला अब तक इंसाफ या कोई मुआवजा
सरायकेला खरसावां: कपाली गौसनगर के रहने वाले शेख ताजुद्दीन को बीते 8 दिसंबर को आदित्यपुर थाना अंतर्गत सापड़ा गांव में लोगों ने लाठी डंडे से पीटा जिसके बाद उनकी रिम्स में मौत हो गई।
इस मामले को जमशेदपुर की संगठन पीपुल्स फोरम और समाजसेवी सरफराज हुसैन ने उठाया जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ा और सरफराज हुसैन के चिट्ठी के जवाब में झारखंड अल्पसंख्यक आयोग ने जांच के लिए एक स्पेशल टीम का गठन किया। टीम मरहूम शेख ताजुद्दीन के घर पर पहुंची और घर वालों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्ला खान ने कहा था कि यह मामला पूरी तरह से मॉब लिंचिंग का मामला है और उनकी टीम पूरी तरह से शेख ताजुद्दीन के परिजन के साथ खड़ी है

रविवार को ताजुद्दीन के मौत के 40 दिन पूरे हो गए जिसके बाद उनके आवास पर उनकी मगफिरत के लिए चेहल्लुम का आयोजन किया गया था। मिलाद की महफिल भी सजाई गई थी जिसमें मुख्य रूप से जमशेदपुर के मौलाना हारून रशीद एवं कपाली के कई अन्य मौलाना मौजूद थे। सभी ने शेखताजुद्दीन के मग़फिरत के लिए दुआ की।
इस मौके पर मरहूम के बेटे तबरेज ने बात करते हुए बताया कि इस मामले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी हो गई है लेकिन इसमें और भी लोग शामिल है जिनका गिरफ्तार होना अब तक बाकी है।
बाकी लोग की गिरफ्तारी के लिए वह लगातार गुहार लगा रहे है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग की टीम ने मदद का आश्वासन दिया है लेकिन अब तक किसी के द्वारा कोई भी मदद मिला नहीं है

शेख ताजुद्दीन के भांजे अलाउद्दीन ने कहा कि घर की माली हालत ठीक नहीं है इसलिए उनके इकलौते बेटे तबरेज को सरकारी नौकरी जरूर दी जाए ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सके।
चेहल्लुम के मौके पर मिलाद में मौजूद पीपल्स फ़ोरम के अशरफ हुसैन और मज़हर खान ने कहा कि जिस तरह से इससे पहले कोडरमा के मौलाना शहाबुद्दीन और रांची के अख्तर अंसारी के मामले को ठंडे बस्ते में डाला गया था तो अगर स्थानीय लोग और संगठन इस पर खामोश रहे तो सरकार इसे भी ठंडे बस्ते में डाल देगी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल वह आयोग के फैसले और मुआवजे के ऐलान का इंतजार कर रहे अगर सरकार इस पर खामोश रहेगी तो उनके संगठन के द्वारा एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा और शेख ताजुद्दीन को इंसाफ और मुआवजा दिलाने के लिए वह लोग आवाज उठाते रहेंगे।
