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VP Election : उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे के बाद एनडीए की भारी बढ़त, विपक्ष मुश्किल में, जानिए पूरा नंबर गेम…

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Azad Reporter desk: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। लेकिन इस बार संसद में नंबर गेम पूरी तरह एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के पक्ष में नजर आ रहा है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में एनडीए के पास बहुमत है जिससे विपक्ष की राह मुश्किल होती दिख रही है।

लोकसभा में कुल 543 सीटें होती हैं लेकिन फिलहाल एक सीट (बशीरहाट) खाली है, यानी कुल प्रभावी सदस्य संख्या 542 है। इसमें से एनडीए के पास 293 सांसदों का समर्थन है जो बहुमत से कहीं ज्यादा है।

राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से इस समय 5 सीटें खाली हैं जिससे कुल प्रभावी संख्या 240 रह जाती है। इनमें से एनडीए को 129 सांसदों का समर्थन हासिल है। इसके अलावा मनोनीत सदस्य भी अक्सर सत्ताधारी दल के पक्ष में ही वोट देते हैं।

उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद मिलकर करते हैं। इस बार दोनों सदनों को मिलाकर कुल प्रभावी संख्या 786 है यानी जीत के लिए 394 वोट चाहिए।

वर्तमान स्थिति में एनडीए के पास 422 सांसदों का समर्थन है यानी अगर सभी सदस्य मतदान करते हैं तो एनडीए की जीत तय मानी जा रही है।

संख्या के लिहाज से विपक्ष एनडीए के सामने कमजोर नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विपक्ष सिर्फ प्रतीकात्मक उम्मीदवार देगा या कोई मजबूत रणनीति बनाकर चुनाव में उतरने की कोशिश करेगा।

•अनुच्छेद 68: उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराना जरूरी है।
•अनुच्छेद 66(1): यह चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से होता है जिसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली अपनाई जाती है। मतदान गुप्त बैलेट के जरिए होता है।

इस प्रणाली में सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता के क्रम में वोट देते हैं पहली पसंद, दूसरी पसंद और तीसरी पसंद के रूप में। अगर कोई उम्मीदवार 50% से ज्यादा प्रथम पसंद वोट हासिल कर लेता है तो वह जीत जाता है।
अगर ऐसा नहीं होता तो सबसे कम वोट पाने वाला उम्मीदवार बाहर हो जाता है और उसके वोट दूसरी पसंद के अनुसार अगले उम्मीदवार को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। ये प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार 50% से ज्यादा वोट नहीं पा लेता।

इस बार के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए का पलड़ा भारी है। विपक्ष के पास संख्या कम है और उसकी रणनीति को लेकर भी अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष क्या कदम उठाता है।