झारखंड में 10 जून से बालू खनन पर रोक, NGT के निर्देश पर सरकार ने उठाया सख्त कदम…

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Jharkhand: झारखंड सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य की सभी नदियों और घाटों से बालू खनन पर 10 जून से 15 अक्टूबर 2025 तक पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के दिशा-निर्देशों के तहत लिया गया है जिसका उद्देश्य मानसून के दौरान नदियों को स्वयं के पुनर्जीवन का अवसर देना और पर्यावरण संतुलन बनाए रखना है।

फिलहाल झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड (JSMDCL) के पास 83 लाख क्यूबिक फीट बालू का भंडारण मौजूद है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि आम जनता और निर्माण कार्यों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसी स्टॉक के माध्यम से धीरे-धीरे आपूर्ति की जाएगी। इससे अवैध खनन पर रोक लगेगी और नियंत्रित वितरण संभव हो सकेगा।

बालू का उपयोग कहां-कहां होता है?

• घर या बिल्डिंग निर्माण (ईंट, सीमेंट, कंक्रीट के साथ)

• सड़क निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स

• कांच और सीमेंट उद्योग

• जल शुद्धिकरण और फिल्टरिंग प्रक्रियाओं मेंक्यों जरूरी है बालू खनन पर प्रतिबंध?

विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक बालू खनन से कई पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसे

• नदियों की गहराई और प्रवाह में असंतुलन

• जलीय जीवों के निवास स्थान को नुकसान

• भूमि कटाव और बाढ़ की आशंका में वृद्धि

• भूजल स्तर में गिरावटइसीलिए हर वर्ष मानसून के दौरान खनन पर प्रतिबंध आवश्यक हो जाता है जिससे नदियां प्राकृतिक रूप से पुनः बालू का संग्रह कर सकें।

क्या हैं बालू के पर्यावरणीय विकल्प?

1. एम-सैंड (M-Sand): कृत्रिम रूप से क्रशर मशीनों से बनी बालू

2. स्टोन डस्ट: पहाड़ों को काटकर प्राप्त महीन कण

3. फ्लाई ऐश (कोयला राख): ईंट और सीमेंट निर्माण में उपयोगी

4. C&D वेस्ट: पुराने भवनों से निकली निर्माण सामग्रीये विकल्प लंबे समय में टिकाऊ और सस्ते साबित होते हैं और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी हैं।

झारखंड में बालू खनन पर लगा प्रतिबंध सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं बल्कि भविष्य के पर्यावरण की रक्षा के लिए एक सजग प्रयास है।