रिम्स पर फिर उठे सवाल! रिम्स में इलाज या अव्यवस्था? हाईकोर्ट ने सरकार और प्रशासन से मांगा जवाब…

Jharkhand: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (Rajendra Institute of Medical Sciences) की व्यवस्थाओं को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। मरीजों को बेहतर इलाज और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार रिम्स और झारखंड बिल्डिंग कॉरपोरेशन से कई अहम सवालों का जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से पूछा है कि मरीजों के इलाज और सुविधाओं को बेहतर करने के लिए जो राशि सरकार द्वारा आवंटित की गई उसका उपयोग किस प्रकार किया गया? इस राशि से कौन-कौन से चिकित्सा उपकरण खरीदे गए? क्या इन उपकरणों की खरीद के लिए टेंडर निकाला गया था?
खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह पूर्व आदेशों के आलोक में विस्तृत जवाब अदालत में प्रस्तुत करे। जनहित याचिका में रिम्स में मरीजों को मिल रही सुविधाओं की स्थिति पर सवाल उठाए गए हैं जिसके बाद कोर्ट ने यह सख्त रुख अपनाया है।
इधर रिम्स प्रशासन ने भी अस्पताल में तैनात होम गार्डों के भत्ते को लेकर गृह विभाग को पत्र लिखा है। रिम्स के अपर चिकित्सा अधीक्षक ने पत्र में मांग की है कि होम गार्ड को अब नई दर के अनुसार 1088 रुपये प्रतिदिन का कर्तव्य भत्ता दिया जाए। अभी तक होम गार्ड को 500 रुपये प्रतिदिन की पुरानी दर से भुगतान किया जाता है जबकि गृह विभाग की ओर से नई दर पहले ही तय कर दी गई है।
रिम्स प्रशासन को उम्मीद है कि विभाग से जल्द मंजूरी मिलने पर होम गार्ड को नई दर के अनुसार भत्ते का भुगतान शुरू किया जाएगा। यह कदम अस्पताल की सुरक्षा और सेवाओं में सुधार के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।