झारखंड में विकास की रफ्तार पर सियासत का ब्रेक, अस्पताल-फ्लाईओवर और नौकरियां सब है अधूरा…

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Jharkhand: झारखंड एक ऐसा राज्य है जो खनिज, जंगल और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। लेकिन इतने संसाधनों के बावजूद यहां विकास की गति बहुत धीमी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है लगातार चल रही राजनीति। सरकार बदलती है तो योजनाएं भी बदल जाती हैं। नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं और इसका नुकसान आम लोगों को होता है।

झारखंड में सबसे बड़ी समस्या है स्वास्थ्य सेवाओं की। 2023 और 2024 के आंकड़ों के मुताबिक यहां हर 10,000 लोगों पर सिर्फ 4.5 अस्पताल बेड हैं जबकि देश का औसत 5.5 है। रांची और जमशेदपुर में जो बड़े अस्पताल बनने थे वो अभी तक सिर्फ कागज़ों में ही हैं। रांची का रिम्स अस्पताल पहले से ही भीड़ से जूझ रहा है। रिम्स-दो बनाने की योजना तो बनी है, लेकिन अब जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया है।

सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि भाजपा विकास के कामों में रुकावट डाल रही है। वहीं भाजपा कहती है कि राज्य सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से काम नहीं हो पा रहा। इस खींचतान में सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों को हो रही है ।स्वास्थ्य ही नहीं शहरों का ट्रैफिक भी बड़ी समस्या बनता जा रहा है। रांची, जमशेदपुर और धनबाद जैसे शहरों में रोज़ जाम लगता है।

कुछ सर्वे के मुताबिक रांची में लोग रोज़ करीब 45 मिनट जाम में फंसे रहते हैं। ऐसे में फ्लाईओवर की ज़रूरत बढ़ गई है। कांटाटोली फ्लाईओवर एक अच्छा उदाहरण है लेकिन सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर का काम अब तक अधूरा है। राजनीति की वजह से काम अटका हुआ है।

झारखंड में बेरोजगारी भी बड़ी चिंता है। 2023 और 2024 में राज्य की बेरोजगारी दर लगभग 7.8% थी। 2022 में JSSC ने 10,000 से ज्यादा पदों पर भर्तियों की घोषणा की थी लेकिन आज तक नियुक्तियां पूरी नहीं हुईं। कभी नियमों पर विवाद होता है तो कभी आरक्षण को लेकर टकराव। युवा इससे नाराज़ हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं।

झारखंड के पास विकास की पूरी संभावना है। लेकिन जब तक सभी राजनीतिक दल आपसी झगड़े छोड़कर मिलकर काम नहीं करेंगे तब तक राज्य आगे नहीं बढ़ पाएगा।