Jamshedpur: सातवीं मोहर्रम पर साकची इमामबाड़े में मजलिस का हुआ आयोजन…

Jamshedpur news: जमशेदपुर में मोहर्रम की सातवीं तारीख को साकची स्थित हुसैनी मिशन के इमामबाड़े में मजलिस का आयोजन किया गया। इस मौके पर मजलिस को मौलाना सैयद सादिक अली ने खिताब किया। उन्होंने अपने बयान की शुरुआत जीवन और भावनाओं की अहमियत पर चर्चा करते हुए की। मौलाना ने कहा कि जब कोई बच्चा जन्म के बाद रोता है तो सबको तसल्ली होती है कि वह जिंदा है। उसी तरह इंसान को भी अपने जिंदा होने का सबूत देना होता है।
अपने बयान में मौलाना ने कौमे समूद का ज़िक्र करते हुए बताया कि कैसे अल्लाह के आदेश की नाफरमानी करने पर वह कौम अज़ाब का शिकार हुई। इसके बाद उन्होंने मजलिस में फजाएल और फिर मसाएब का बयान किया। मौलाना ने बेहद दर्दभरे लहजे में कर्बला के छोटे शहीद हज़रत कासिम इब्ने इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत का ज़िक्र किया।
उन्होंने बताया कि कर्बला के मैदान में हज़रत कासिम ने अपने चचा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से जंग की इजाज़त मांगी। पहले इमाम हुसैन ने उन्हें मना किया लेकिन कासिम को वह तावीज़ याद आया जो उनके वालिद ने बांधा था। जब उन्होंने वह तावीज़ खोला तो उसमें एक खत मिला जिसमें लिखा था कि अगर कर्बला में कोई मुश्किल आए तो कासिम को जिहाद की इजाज़त दे देना। यह खत पढ़कर इमाम हुसैन की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने कासिम को मैदान में जाने की अनुमति दे दी। हज़रत कासिम ने बहादुरी से लड़ते हुए शहादत का जाम पिया।
मजलिस के बाद हुसैनी मिशन से अलम और ताबूत का जुलूस निकाला गया जो साकची गोलचक्कर तक गया। रास्ते भर अकीदतमंदों ने नौहाखानी और सीनाजनी की। पूरा इलाका मातम और ग़म में डूबा रहा। जुलूस पुनः इमामबाड़े लौटकर संपन्न हुआ।
इस मौके पर स्थानीय अंजुमन के सदस्य भी मौजूद थे। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे और पार्टी के अन्य कार्यकर्ता भी मजलिस और जुलूस में शामिल हुए।
मजलिस में शहादत की दास्तान के साथ यह संदेश भी दिया गया कि कुर्बानी, सब्र और सच्चाई की राह पर चलना ही इंसानियत का असली मकसद है।