झारखंड में फिर चला हेमंत सोरेन का सिकल सेल के खिलाफ अभियान, आदिवासी बच्चों को मिलेगा राहत का रास्ता…

Jharkhand: हर साल की तरह इस बार भी झारखंड सरकार 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस के रूप में मना रही है। इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर उस गंभीर बीमारी की ओर ध्यान दिलाया है जिससे झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हज़ारों बच्चे प्रभावित हैं सिकल सेल एनीमिया।
सिकल सेल एक आनुवांशिक बीमारी है जो तब होती है जब बच्चे के माता-पिता दोनों में यह जीन पाया जाता है। इससे पीड़ित बच्चों को बार-बार तेज़ दर्द, उल्टी, डायरिया और अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। उनका सामान्य जीवन, स्कूल जाना और खेलना-कूदना तक मुश्किल हो जाता है।यह बीमारी पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के घर तक को नहीं छोड़ी। उनके दोनों बेटे अविनाश और अभिनव भी सिकल सेल से प्रभावित हैं और अक्सर बीमार रहते हैं। इसी अनुभव के कारण श्री मुंडा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में सिकल सेल के खिलाफ एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया था।
आज भी इस बीमारी की वजह से आदिवासी और वंचित समुदायों को सबसे ज़्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। इलाज की सुविधाएं सीमित हैं और जागरूकता की कमी बनी हुई है। हालांकि हाल के वर्षों में जल्दी जांच जेनेटिक काउंसलिंग और सही इलाज की दिशा में कुछ अहम प्रगति हुई है लेकिन इसे ज़मीनी स्तर पर उतारने के लिए लोगों की संस्कृति और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए काम करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से कदम उठा रही है ताकि आने वाली पीढ़ी को इस बीमारी से छुटकारा मिल सके।