झारखंड बंद का आह्वान, जमशेदपुर में नहीं दिखा असर
जमशेदपुर : झारखंड में मंगलवार को आदिवासी संगठनों द्वारा झारखंड बंद का आह्वान किया गया लेकिन जमशेदपुर में इसका खास असर नहीं दिखा। शहर में सामान्य दिनों की तरह जनजीवन चलता रहा। बसें अपने तय समय पर चलीं दुकानें खुलीं रहीं और बाजारों में रोज़मर्रा की हलचल बनी रही।
यह बंद आदिवासी बचाओ मोर्चा और सिरमटोली सरना स्थल बचाओ मोर्चा के आह्वान पर आयोजित किया गया था। संगठनों की मांग थी कि रांची स्थित सिरमटोली सरना स्थल के पास बनाए गए रैंप को तत्काल हटाया जाए। उनका कहना है कि यह विरोध केवल एक निर्माण के खिलाफ नहीं है, बल्कि आदिवासी धर्मस्थलों—जैसे मारंगबुरू, लुगुबुरू और मुड़हर पहाड़—के अस्तित्व और सम्मान की रक्षा के लिए है।
उनका मानना है कि इन स्थलों पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण या संरचनात्मक बदलाव उनकी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने वाला है।बंद के दौरान कई अहम मुद्दे उठाए गए, जिनमें शामिल हैं – पेसा कानून को पूरी सख्ती से लागू करना, आदिवासियों की जमीनों की लूट पर रोक, धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन, नियोजन नीति में बदलाव की मांग, लैंडबैंक में आदिवासी भूमि को शामिल किए जाने का विरोध, राज्य में ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना, आदिवासी भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण की जरूरत और झारखंड में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की मांग।
हालांकि बंद को आवश्यक सेवाओं से जुड़ी गतिविधियों से अलग रखा गया था। दवा दुकानों, शवयात्राओं, अस्पताल जाने वाले मरीजों और एंबुलेंस सेवाओं को बंद से छूट दी गई।कुछ राजनीतिक दलों ने भी बंद का समर्थन करते हुए झारखंड सरकार से मांगों पर सकारात्मक रवैया अपनाने की अपील की है।जमशेदपुर में बंद का असर न के बराबर रहा। मानगो बस स्टैंड से रांची, धनबाद, बोकारो, भुवनेश्वर समेत अन्य स्थानों के लिए बस सेवाएं सुचारु रूप से चलती रहीं। शहर के बाजार सामान्य रूप से खुले रहे और यातायात भी बिना किसी व्यवधान के जारी रहा।
कुल मिलाकर, जहां आदिवासी संगठनों ने अपने अधिकारों और धार्मिक पहचान की सुरक्षा के लिए आवाज बुलंद की, वहीं जमशेदपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में इसका असर देखने को नहीं मिला।