हेमंत सरकार पर बड़ा आरोप!!! झारखंड में PESA कानून लागू नहीं कर रही सरकार — रघुवर दास…

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Jharkhand: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन की सरकार पर आरोप लगाया है कि वह विदेशी धर्मों के दबाव में आकर झारखंड में PESA कानून लागू नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के आदिवासी समाज को उनकी पारंपरिक ग्राम स्वशासन की व्यवस्था से वंचित रखा जा रहा है जबकि 1996 में देश में PESA कानून बन चुका है और अधिकांश राज्यों ने इसे लागू कर दिया है। रघुवर दास ने सवाल उठाया कि क्या हेमंत सरकार को PESA कानून लागू होने से डर है या इससे उनकी सत्ता पर खतरा है।

उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार ने 2023 में PESA नियमावली का प्रारूप तैयार किया और आम जनता से सुझाव भी मांगे गए इसके बाद यह नियमावली विधि विभाग को भेजी गई जिसने मार्च 2024 में सहमति भी दे दी। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी इस कानून को वैध माना है। फिर भी कानून लागू नहीं किया जा रहा है।

रघुवर दास का कहना है कि PESA लागू होने पर आदिवासी पंचायतों को अपने संसाधनों जैसे बालू, पत्थर, लघु खनिजों पर अधिकार मिल जाएगा, जिससे अवैध कारोबार करने वाले माफियाओं को नुकसान होगा। इसके कारण भी कानून को रोका जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हेमंत सरकार विदेशी धर्मावलंबियों के दबाव में आकर आदिवासी समाज के अधिकारों का हनन कर रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत ने भी कहा कि कांग्रेस ने पहले आदिवासी कोड को जनगणना से हटा दिया था और अब झामुमो-कांग्रेस गठबंधन आदिवासी समाज की संस्कृति पर हमला कर रहा है।

PESA कानून क्या है?

PESA (Panchayats Extension to Scheduled Areas Act 1996) एक ऐसा कानून है जो भारत के अनुसूचित क्षेत्रों और आदिवासी समुदायों को उनके पारंपरिक स्वशासन और अधिकार देने के लिए बनाया गया है। इसके तहत आदिवासी पंचायतों को अपने जंगल, जमीन, खनिज, और अन्य संसाधनों पर नियंत्रण मिलता है। इसका मकसद आदिवासी समाज को उनकी परंपराओं के अनुसार अपनी जमीन और संसाधनों पर अधिकार देना और बाहरी हस्तक्षेप से बचाना है।

PESA कानून आदिवासी समाज के हक और अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है। इसे लागू करना आदिवासियों के लिए उनकी पहचान और अधिकारों की गारंटी है। अगर इसे लागू नहीं किया जाता तो यह उनके साथ अन्याय ही होगा।