डॉक्टर की लापरवाही से 5 साल की बच्ची की मौत!! जानें हर साल कितनी जिंदगियां निगल रही है मेडिकल नेग्लिजेंस…

Azad Reporter desk: हम अक्सर अपनी जान और अपनों की ज़िंदगी डॉक्टरों के भरोसे छोड़ देते हैं। लेकिन क्या वो भरोसे के लायक हैं? क्या हमारा इलाज सही लोगों के हाथों में हो रहा है?
उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक दर्दनाक मामला सामने आया है जहां एक डॉक्टर की लापरवाही की वजह से 5 साल की बच्ची की मौत हो गई।
कानपुर के कल्याणपुर इलाके में रहने वाले व्यापारी निर्मल कुमार की बेटी आरवी कमल को कुछ दिनों से बुखार था। वह बच्ची के इलाज के लिए सिंघल हॉस्पिटल जा रहे थे जहां डॉक्टर अनूप अग्रवाल इलाज कर रहे थे।
सोमवार को डॉक्टर ने बच्ची को भर्ती करने के लिए कहा। लेकिन इलाज करने के बजाय डॉक्टर फोन पर ही नर्सों को निर्देश देते रहे। नर्सों ने डॉक्टर के कहने पर बच्ची को चार इंजेक्शन लगाए जिसके बाद उसकी हालत और बिगड़ गई।
जब तबीयत ज्यादा खराब हुई तो डॉक्टर ने उसे किसी और अस्पताल ले जाने को कह दिया। जब उसे पास के एक दूसरे अस्पताल ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद परिवार वालों ने सिंघल अस्पताल में हंगामा किया। पुलिस मौके पर पहुंची और डॉक्टर को हिरासत में लेकर थाने ले गई। डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया गया है। सीएमओ ने भी जांच के आदेश दिए हैं।
लेकिन यह पहली बार नहीं जब किसी मासूम को डॉक्टर की लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है।
भारत में हर साल डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से हजारों लोगों की जान चली जाती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक हर साल करीब 31,761 लोगों की मौत मेडिकल लापरवाही की वजह से होती है। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नेशनल हेल्थ मिशन जैसे संगठनों के मुताबिक यह संख्या 98,000 तक हो सकती है। कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स जैसे हार्वर्ड मेडिकल स्टडी और नेशनल प्रैक्टिशनर डेटा बैंक (NPDB) तो यह तक कहती हैं कि भारत में हर साल करीब 5 लाख लोगों की मौत डॉक्टरों की गलती या ऑपरेशन में हुई चूक के कारण होती है।