महाकुंभ 2025: क्या है अमृत स्नान का महत्व,जानें कैसे जुटाया जा रहा है स्नान करने वालो का आंकड़ा..
Azad reporter news desk: महाकुंभ, जो प्रति 12 वर्ष में आयोजित किया जाता है, एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। इस वर्ष, महाकुंभ 2025 प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर, शाही स्नान को अमृत स्नान नाम दिया गया है, जो इस अनुष्ठान की पवित्रता और महत्व को दर्शाता है।
अमृत स्नान: एक पवित्र अनुष्ठान
जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने बताया कि अमृत स्नान का नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि यह स्नान अमृत के समान पवित्र माना जाता है। यह अनुष्ठान महाकुंभ के दौरान आयोजित किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करते हैं।
स्नान करने वालों की संख्या
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ में स्नान करने वालों की संख्या को लेकर एक सवाल खड़ा किया है। लोग यह जानना चाहते हैं कि सरकार यह आंकड़ा कैसे जुटा रही है। इसका जवाब यह है कि घाटों पर हर घंटे डुबकी लेने वाले लोगों का क्राउड असेसमेंट एक खास टीम कर रही है।महाकुंभ शुरू होने से पहले कई बार क्राउड कैलकुलेशन रिहर्सल किया गया था। एक एक्सपर्ट टीम सभी 48 घाटों पर हर घंटे क्राउड का असेसमेंट करती है, जिसमें ड्रोन की मदद भी ली जाती है। यह टीम घाटों पर मौजूद लोगों की संख्या को गिनती है और इसके आधार पर आंकड़ा तैयार किया जाता है।महाकुंभ 2025 एक ऐतिहासिक अवसर है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। यह अवसर न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


