वाह रे सिस्टम! नेताजी की गाड़ी आराम से निकल जाए, पर एक मां के शव को रोका जाए…

Azad Reporter desk: ये सिस्टम आम आदमी का नहीं सिर्फ VIP वालों का है। हमीरपुर से आई एक दर्दनाक घटना ने एक बार फिर हमारे सरकारी सिस्टम की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शनिवार को जिले के यमुना पुल पर मरम्मत कार्य के चलते एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने इंसानियत को झकझोर दिया।
टेढ़ा गांव की रहने वाली शिवदेवी का अस्पताल में निधन हो गया था। बेटों ने मां के शव को एंबुलेंस से गांव ले जाने का प्रयास किया लेकिन जब यमुना पुल पर पहुंचे तो प्रशासन ने साफ कह दिया गाड़ी नहीं जा सकती। हालांकि उसी पुल पर एक राजनीतिक नेता की गाड़ी आराम से गुजर गई और आम जनता के लिए बने नियम उस नेता पर लागू नहीं हुए।
शिवदेवी के बेटे अधिकारियों से गिड़गिड़ाते रहे रोते रहे पर कुछ असर नहीं हुआ। मजबूरी में उन्होंने अपनी मां के शव को एंबुलेंस से उतारा और स्ट्रेचर पर शव को रखकर लगभग एक किलोमीटर पैदल चल पड़े। रास्ते में चार बार शव को नीचे रखना पड़ा क्योंकि हिम्मत जवाब दे रही थी ।
यह वही भारत है जहां आम जनता की लाशें ठेले पीठ और स्ट्रेचर पर ढोई जाती हैं और VIP बिना रोक-टोक नियमों से ऊपर होते हैं।
यह वही सिस्टम है जहां लाइन में खड़े आम आदमी का नंबर आते ही काउंटर बंद कर दिया जाता है लेकिन VIP या नेता जी को कभी इंतज़ार नहीं करना पड़ता।