मुखिया हैं, लेकिन काम नहीं होगा क्योंकि ‘मुखिया पति’ नहीं हैं…

Jharkhand: “मुखिया जी घर पर हैं, लेकिन उनके पति नहीं हैं इसलिए आपका काम नहीं हो पाएगा” झारखंड के कई गांवों में लोगों को यही जवाब सुनने को मिलता है। महिला को तो चुनाव जिताकर मुखिया बना दिया गया लेकिन कामकाज और फैसले अब उनके पति करते हैं।
राज्य के कई पंचायतों में ऐसा देखा गया है कि लोग असली मुखिया को जानते ही नहीं हैं। वजह ये है कि सारी जिम्मेदारी मुखिया पति निभा रहे हैं। दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर से लेकर योजनाओं के फैसले तक सब कुछ वही कर रहे हैं।
जब गांव के लोग किसी जरूरी काम के लिए मुखिया के पास जाते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि “मुखिया पति बाहर गए हैं उनके बिना काम नहीं होगा।” ऐसे में लोग कई-कई घंटे इंतजार करते हैं और फिर बिना काम के लौट जाते हैं।
लोगों में गुस्सा अगली बार नहीं देंगे वोटपूर्वी सिंहभूम जिले समेत कई जगहों के लोग अब परेशान हो चुके हैं। वे कह रहे हैं कि अगली बार चुनाव में न मुखिया पति को और न ही उनकी पत्नी को वोट देंगे। अब वे ऐसे नेता को चुनना चाहते हैं जो खुद काम करे ना कि किसी और के भरोसे चले।
महिला पद सिर्फ नाम कासरकार ने महिलाओं को पंचायतों में मौका देने के लिए आरक्षण दिया लेकिन कई जगहों पर महिलाएं सिर्फ नाम की मुखिया हैं। असली काम उनके पति कर रहे हैं। इससे महिला सशक्तिकरण की असली मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।
लोगों की मांग है कि सरकार इस पर सख्त कदम उठाए और असली मुखिया को ही काम करने दिया जाए। वरना पंचायतों में यही चलता रहेगा “मुखिया हैं, लेकिन काम तब होगा जब मुखिया पति आएंगे”