झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पर फिर उठे सवाल, जूता-मोजा और पोशाक वितरण में लापरवाही पर तीन जिलों के अफसरों को नोटिस, निरीक्षण और जांच के दिए निर्देश…

Jharkhand: झारखंड में शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सरकारी स्कूलों में बच्चों को जूता-मोजा और पोशाक बांटने में लापरवाही सामने आने के बाद शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने पूर्वी सिंहभूम, लोहरदगा और सिमडेगा जिलों के डीईओ (जिला शिक्षा पदाधिकारी) और डीएसई (जिला शिक्षा अधीक्षक) को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा स्टेशनरी सामग्री के वितरण में जामताड़ा जिले की कमजोर स्थिति पर भी शिक्षा सचिव ने नाराजगी जताई है। उन्होंने देवघर, पश्चिम सिंहभूम, पलामू और लोहरदगा के 50 स्कूलों का रैंडम सर्वे कराने को कहा है जिससे यह पता चल सके कि योजनाओं का लाभ बच्चों तक समय पर पहुंच रहा है या नहीं। अगर किसी अधिकारी की लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सोमवार को जेईपीसी सभागार में हुई राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि हर जिले के डीईओ और डीएसई को हफ्ते में कम से कम एक प्रखंड के स्कूलों का औचक निरीक्षण करना होगा और जिओ टैग फोटो विभाग को देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर परीक्षा परिणाम अच्छे नहीं आते हैं तो इसकी जिम्मेदारी विभाग को लेनी चाहिए।
बैठक में यह फैसला लिया गया कि 791 स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के प्रतिनियोजन की जांच होगी और जून के अंत तक स्कूल मैनेजर की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके अलावा शिक्षकों के लिए जरूरी 50 घंटे के प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया गया है।
शिक्षा सचिव ने यह भी कहा कि रांची, पलामू, लातेहार, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों में शिक्षकों की प्रतिनियोजन प्रक्रिया की खास जांच की जाए। वहीं बच्चों की स्वास्थ्य जांच और पोषण से जुड़ी योजनाओं का डाटा एक साथ रिकॉर्ड कर MIS में अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।
बच्चों तक योजनाओं का लाभ ठीक से नहीं पहुंच रहा है और कई जिलों में अफसर लापरवाही बरत रहे हैं।