गिरिडीह में बनेगा झारखंड का सबसे अनोखा बायोडायवर्सिटी पार्क, शिक्षा-पर्यटन और रोजगार का बनेगा केंद्र…

Jharkhand: झारखंड के गिरिडीह जिले में प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए एक नई सौगात तैयार हो रही है। कठवारा पीरटांड़ प्रखंड में 90 हेक्टेयर (222 एकड़) क्षेत्रफल में झारखंड का सबसे खास बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित किया जा रहा है। यह पार्क न केवल मनोरंजन का साधन होगा बल्कि प्राकृतिक शिक्षा और जैव विविधता संरक्षण का प्रमुख केंद्र भी बनेगा। इसे 2026 की शुरुआत में आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
पार्क की विशेषताएं—
• 41 अलग-अलग जोन में किया जाएगा पौधरोपण, प्रत्येक जोन में 1,000 स्थानीय व दुर्लभ पौधे लगाए जाएंगे।
• बराकर नदी के किनारे स्थित यह पार्क जल संरक्षण की दृष्टि से भी अहम होगा।
• चेक डैम, मखाना और जल पौधों से युक्त जल निकाय बनाए जा रहे हैं।
• गुलाब बगिया, बांस बगिया, नक्षत्र वन और पाम गार्डन जैसे अनोखे सेक्शन इसकी खूबसूरती बढ़ाएंगे।
• चिल्ड्रन पार्क और एजुकेशन जोन बच्चों को पर्यावरणीय ज्ञान देने के उद्देश्य से तैयार किए जा रहे हैं।
इन जोनों में मिलेगा अनोखा अनुभव—
• गुलाब बगिया: सैकड़ों प्रजातियों के गुलाब और सुगंधित वातावरण।
• मैंगो ज़ोन: 70 किस्मों के दुर्लभ आम, साथ में मैंगो फेस्टिवल का आयोजन।
• नक्षत्र वन: 27 नक्षत्रों से संबंधित पौधों के साथ ज्योतिषीय और आध्यात्मिक जानकारी।
• बांस बगिया: 50 से अधिक प्रजातियों के बांस, उनके उपयोग की जानकारी के साथ।
• पाम गार्डन: पाम पेड़ों की विविध प्रजातियां, सेल्फी व फोटो पॉइंट्स के लिए खास आकर्षण।
कैसे पहुंचे पार्क तक?
• स्थान: कठवारा, पीरटांड़, गिरिडीह
• गिरिडीह शहर से दूरी: 14 किमी
• पारसनाथ रेलवे स्टेशन से दूरी: 31 किमी
• GT रोड से दूरी: 28 किमी
• सुविधा: चारपहिया या किराए के वाहन से पहुँचना सर्वोत्तम, गिरिडीह शहर से टोटो और ऑटो की सुविधा भी उपलब्ध।
राज्य के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया कि यह पार्क केवल घूमने की जगह नहीं बल्कि प्राकृतिक शिक्षा केंद्र के रूप में भी काम करेगा। बच्चों को यहां सखुआ, महुआ, साल जैसे पारंपरिक वनों के महत्व को समझने का अवसर मिलेगा।
पर्यटन मंत्री ने यह भी बताया कि बायोडायवर्सिटी पार्क के सामने चिड़ियाघर (Zoo) की योजना भी तैयार की गई है, जिसे राज्य की वार्षिक योजना में शामिल किया गया है और केंद्र सरकार से अनुमति की प्रक्रिया प्रगति पर है। इसके बनते ही यह इलाका रांची के ओरमांझी की तर्ज पर पर्यटन हब बन सकता है।गिरिडीह के डीएफओ मनीष तिवारी ने बताया कि “काम युद्ध स्तर पर जारी है। हमारी टीम हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दे रही है ताकि जनता को जल्द से जल्द यह प्रकृति उपहार सौंपा जा सके।”