अहमदाबाद विमान हादसा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा – जांच पूरी होने से पहले पायलट को दोषी ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण…

अहमदाबाद में 12 जून को हुई एयर इंडिया विमान दुर्घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में पायलट को सीधे तौर पर दोषी ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है।
दरअसल 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 787–8 ड्रीमलाइनर विमान उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार 266 में से 265 लोगों की मौत हो गई थी जबकि केवल एक यात्री जिंदा बचा था। मृतकों में यात्री, चालक दल और जमीन पर मौजूद लोग शामिल थे।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन.के. सिंह की बेंच ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं होती तब तक किसी को भी जिम्मेदार ठहराना अनुचित है। अदालत ने कहा कि अगर कल यह कहा जाए कि पायलट ही हादसे के लिए जिम्मेदार है तो इसका असर उसके परिवार और समाज दोनों पर बुरा पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच के दौरान गोपनीयता और निष्पक्षता बनाए रखना जरूरी है। अधूरी जानकारी को टुकड़ों में सार्वजनिक करना जांच की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है।
यह मामला सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन नामक एनजीओ की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। एनजीओ का कहना है कि एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट अधूरी है और उसमें कई अहम तथ्यों को छुपाया गया है। रिपोर्ट में पायलट पर ही दोष मढ़ दिया गया जबकि हादसा तकनीकी खामी या विमान निर्माण दोष से भी हो सकता है।
एनजीओ ने यह भी कहा कि जांच दल में (DGCA) के अधिकारी शामिल हैं, जबकि जांच में उनकी भूमिका की भी पड़ताल होनी चाहिए। यह सीधे-सीधे हितों का टकराव है।
सुप्रीम कोर्ट ने डीजीसीए और एएआईबी से जवाब मांगा है और कहा है कि जांच स्वतंत्र, निष्पक्ष और तेजी से पूरी होनी चाहिए। अदालत ने साफ कर दिया कि जब तक जांच पूरी न हो, तब तक पायलट को दोष देना न्यायसंगत नहीं है।

